सड़क पर चलते ये सैकड़ों लोग ,
चमकती हेडलाइट्स और इंजन के शोर ,
सिर से ढलकता पसीना और पैरों की दौड़ ,
सिग्नल पर रुकना और आगे निकलने की होड़ 1 ,
स्कूल बस की खिड़कियों से झाँकती उत्सुकता ,
और काले शीशों में बंद एलीट क्लास जनता ,
बचपन की खुशियों की ख़ातिर नींबू बेंचती ममता ,
और नकली शो-ऑफ के साये में खो रही मानवता ,
नये दौर की झूठी चमक, लोगों को बाँट रही है भूख़ ,
प्रोसेस्ड फ़ूड से डरता है किसान ,उसकी ज़मीन रही है सूख ,
कॉल सेन्टर पे जहाँ भर से बात करने वाला , अपने पड़ोसी से रहता है मूक 2,
पहले ही खो चुके थे सोना इस चिड़िया का , चांदी तो रहने दे , अब इसे तो ना लूट ||
1Competition, 2Silent/Mute
"कॉल सेन्टर पे जहाँ भर से बात करने वाला,
ReplyDeleteअपने पड़ोसी से रहता है मूक,
पहले ही खो चुके थे सोना इस चिड़िया का,
चांदी तो रहने दे, अब इसे तो ना लूट"
-कैसे सोच लेते हो बे इतना!!