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The leisurely moments when I happen to be at complete peace, I candidly pen down the lines, which surroundings had engraved deep
in my mind and hence, the name. You are the most welcome here and thanks a lot for stopping by. Feel free to drop your kind words :)

Thursday, 9 May 2013

सोने की चिड़िया


सड़क पर  चलते ये  सैकड़ों  लोग ,
चमकती हेडलाइट्स  और इंजन के शोर ,
सिर  से ढलकता  पसीना  और पैरों  की दौड़ ,
सिग्नल पर रुकना और आगे निकलने  की होड़ 1 ,

स्कूल बस की खिड़कियों से झाँकती उत्सुकता ,
और काले शीशों में बंद एलीट क्लास  जनता ,
बचपन की खुशियों की ख़ातिर नींबू  बेंचती ममता ,
और नकली शो-ऑफ के  साये में खो  रही मानवता ,

नये  दौर की झूठी चमक, लोगों को बाँट  रही है भूख़ ,
प्रोसेस्ड फ़ूड से डरता है किसान ,उसकी ज़मीन रही है सूख ,
कॉल सेन्टर पे जहाँ भर से बात करने वाला , अपने पड़ोसी  से रहता है मूक 2,

पहले  ही खो चुके थे सोना इस चिड़िया का , चांदी तो रहने दे , अब इसे तो ना  लूट || 



 

1Competition, 2Silent/Mute

1 comment:

  1. "कॉल सेन्टर पे जहाँ भर से बात करने वाला,
    अपने पड़ोसी से रहता है मूक,
    पहले ही खो चुके थे सोना इस चिड़िया का,
    चांदी तो रहने दे, अब इसे तो ना लूट"

    -कैसे सोच लेते हो बे इतना!!

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