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The leisurely moments when I happen to be at complete peace, I candidly pen down the lines, which surroundings had engraved deep
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Thursday, 9 May 2013

इश्क़ का घूँट

खो जाता हूँ जब , काजल सी स्याह 1 तेरी निगाहों में
भूल जाता हूँ गलियाँ , मैं तेरी इन राहों में
गिनता हूँ घड़ियाँ , पल पल बदलती तेरी अदाओं में
बहक जाता हूँ मैं , तुझसे उड़ती ख़ुशबू भरी हवाओं में

खो जाता हूँ जब , काजल सी स्याह तेरी निगाहों में .....

खो के संभला , तो झील सी आँखों में डूबा
बिता दूँ सदियाँ , ऐसा ये मंजर  अनूठा 2
गवाएँ हैं होश , और साँसों से टूटा
अब दिल है खिलौना , जो धड़कन से रूठा

तीर नज़र का मारा  जो तूने , इस खिलौने का काँच  भी फ़ूटा
(और ) बाज़ार-ए -इश्क़ 3 महँगा बहुत था, मिलके सब हुस्न 4 वालों ने लूटा
न आता यकीन, हकीक़त  है ये , लगता है मुझको तो ख़्वाब तू झूठा
कहती ये दुनिया , इश्क़ का घूँट 5 है कड़वा6 , भर दो पैमाने 7 'अँकुर ' को लगता है मीठा

दिखती है तस्वीर तेरी , इन मीठे पैमानों में
बुनता हूँ हकीक़त मैं , इन झूठे अरमानों में
तोड़ता हूँ तारे मैं, चाँदनी भरे आसमानों में
(और) देखता हूँ ज़न्नत , पत - झड़ के सूखे वीरानों 8 में

खो जाता हूँ जब , काजल सी स्याह तेरी निगाहों में ..... ॥ 




 

1Intense black, 2Unique, 3Market of love, 4Beauty,  5Gulp,
6Bitter,  7Cup/Measure, 8Abandoned place

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