यूँ तो कहने को संभल गया था मैं , चंद रोज़ के बाद ही
पर हकीक़त तो है , की तेरी याद में गुज़रा है ये साल भी
अब के बसंत , घर-घर आँगन में जब , मीठे आमों की पाल 1 थी
पेड़ जो कभी लगाया था बगीचे में मैंने , न उसमे एक भी बौर की डाल 2 थी |
फूल जो दिया था ग़ुलाब का मैंने , तुम्हारी किसी क़िताब में सूख गया
क़िताब तो कई बार पढ़ी थी तुमने लेकिन , वो पन्ना ही खुलने से चूक गया
अबके जेठ 3 ही लीपी 4 थी घर की छत मग़र , आषाढ़ 5 की बारिश में ही फ़ानूस 6 भीग गया
जूता भी लटकाया था 'अँकुर ' ने घर की चौखट 7 पे लेकिन , न जाने कौन आके टोना 8 फूँक गया |
वो सीधी सड़क , जिस पर चलते थे पैदल , उसके अंत को नाहक 9 ताकता हूँ
होती है जो दरवाज़े पे आहट , तो दरीचा 10 खोल के झाँकता हूँ
ढूँढ़ने निकलता हूँ तुझको , इन गलियों में जब , हर रोज़ दर-दर की मैं धूल फाँकता हूँ
जर्जर 11 हो गया है ये बदन का लिबास , इसको अपनी ठन्डी साँसों से टाँकता 12 हूँ
डर है मुझको , कल आ न जाए कहीं वो , ज़िन्दगी ख़त्म है मेरी आज , मैं ये जानता हूँ
चार दिन की ज़िन्दगी में बढ़ा दे एक दिन , मैं पाँचवें दिन की तुझे बख्शीश 13 बाँटता हूँ ||
1Storage of fruits to get them ripened, 2Buds which grow into mangoes, 3A summer hindi month,
4To daub, 5A hindi month just before mansoon, 6Chandelier, 7Entrance, 8Cast a Spell/Voodoo,
9Purposelessly, 10A small window in doors/Sally-port, 11Ramshackled/Ruined, 12To stitch, 13Tip
पर हकीक़त तो है , की तेरी याद में गुज़रा है ये साल भी
अब के बसंत , घर-घर आँगन में जब , मीठे आमों की पाल 1 थी
पेड़ जो कभी लगाया था बगीचे में मैंने , न उसमे एक भी बौर की डाल 2 थी |
फूल जो दिया था ग़ुलाब का मैंने , तुम्हारी किसी क़िताब में सूख गया
क़िताब तो कई बार पढ़ी थी तुमने लेकिन , वो पन्ना ही खुलने से चूक गया
अबके जेठ 3 ही लीपी 4 थी घर की छत मग़र , आषाढ़ 5 की बारिश में ही फ़ानूस 6 भीग गया
जूता भी लटकाया था 'अँकुर ' ने घर की चौखट 7 पे लेकिन , न जाने कौन आके टोना 8 फूँक गया |
वो सीधी सड़क , जिस पर चलते थे पैदल , उसके अंत को नाहक 9 ताकता हूँ
होती है जो दरवाज़े पे आहट , तो दरीचा 10 खोल के झाँकता हूँ
ढूँढ़ने निकलता हूँ तुझको , इन गलियों में जब , हर रोज़ दर-दर की मैं धूल फाँकता हूँ
जर्जर 11 हो गया है ये बदन का लिबास , इसको अपनी ठन्डी साँसों से टाँकता 12 हूँ
डर है मुझको , कल आ न जाए कहीं वो , ज़िन्दगी ख़त्म है मेरी आज , मैं ये जानता हूँ
चार दिन की ज़िन्दगी में बढ़ा दे एक दिन , मैं पाँचवें दिन की तुझे बख्शीश 13 बाँटता हूँ ||
1Storage of fruits to get them ripened, 2Buds which grow into mangoes, 3A summer hindi month,
4To daub, 5A hindi month just before mansoon, 6Chandelier, 7Entrance, 8Cast a Spell/Voodoo,
9Purposelessly, 10A small window in doors/Sally-port, 11Ramshackled/Ruined, 12To stitch, 13Tip